संचित (ग़ुमनाम) on July 26, 2016 0 Comment | 68,013 वो मज़ा ए तड़प कहाँ ग़र सब एक साथ मिल जाय, ग़ुमनाम किश्तों मे मरने का मज़ा ही कुछ और है… ग़ुमनाम
Saru on November 12, 2014 0 Comment | 10,956 तहरीरें काग़ज़ पर उतार लीजिये लीजिये ये क़लम मेरा उधार लीजिये जब फ़र्श-ए-गुल लगा दिया हवाओं ने Read more →