बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया है मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे।
होता है निहाँ गर्द में सहरा मेरे होते Read more
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया है मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे।
होता है निहाँ गर्द में सहरा मेरे होते Read more
कुछ इस तरह मैंने ज़िन्दगी को आसान कर लिया,
किसी से मांग ली माफ़ी, किसी को माफ़ कर दिया…
-मिर्ज़ा ग़ालिब
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है?
तुम ही कहो कि ये अंदाज़-ए-ग़ुफ़्तगू क्या है?
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल Read more
कुछ इस तरह मैंने; जिंदगी को आसां कर लिया;
किसी से माफ़ी मांग ली; किसी को माफ़ कर दिया।
ये संगदिलों की दुनिया है; यहाँ संभल के चलना ग़ालिब;
यहाँ पलकों पे बिठाया जाता है; नज़रों से गिराने के लिए…
~ Mirza Ghalib
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश प दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी कम निकले…
ये इश्क़ नहीं आसां, बस इतना समझ लीजिए,
इक आग का दरिया है और डूबकर जाना है…
आह को चाहिए इक उम्र, असर होने तक
कौन जीता है तिरी जुल्फ के सर होने तक
दामे हर मौज में है, Read more
बे-खुदी बे-सबब नहीं ग़ालिब,
कुछ तो है जिस की पर्दादारी है…
इश्क पर जोर नहीं ये वो आतिश है ग़ालिब,
के लगाए ना लगे और बुझाये ना बुझे…<3