हम दुअओ में तुम्हे मांगना नही चाहते
पर तुम्हे ही पाने की सोचते है
न जाने , कब हम इतने बेखबर हो गये
तुम्हे पाने के लिए हम इतने बेसबर हो गये।
हम दुअओ में तुम्हे मांगना नही चाहते
पर तुम्हे ही पाने की सोचते है
न जाने , कब हम इतने बेखबर हो गये
तुम्हे पाने के लिए हम इतने बेसबर हो गये।
One comment on “बेसबर”
very nice..
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बहुत कर्ज हो गया है दर्द का मेरे सीने में आज,
सोचता हूं मुहब्बत फिर से कर लूँ या दर्द वापस दे दूँ।